गांव में हर घर शौचालय, फिर भी लोटा लेकर बाहर जाते ग्रामीण!

ओम प्रकाश मालवीय,सीहोर। गर्मी की शुरुआत होते ही जिले के अनेक गांवों में पानी का संकट गहराने लगा है। सबसे ज्यादा परेशानी बिशनखेड़ी गांव में देखने को मिल रही है, जहां की करीब 2000 की आबादी बूंद-बूंद पानी के लिए तरस गई है। इस गांव के ग्रामीण मेहनत मजदूरी छोडक़र अल सुबह से पानी के इंतजाम में लग रहे हैं। ग्रामीण 3 से 4 किलोमीटर दूर से पानी लाने के लिए विवश हैं। स्थिति यह है कि गांव में हर घर शौचालय है, लेकिन पानी की कमी होने से ग्रामीण इनका उपयोग नहीं करते हैं, ग्रामीण लौटा लेकर बाहर जाने के लिए विवश हैं। 

मालूम हो कि बिशरखेड़ी गांव मुख्यालय से महज 30 किलोमीटर की दूरी पर है। इस गांव की आबादी करीब 2000 है। इस गांव में गर्मी के मौसम में हर साल ही जल संकट के हालात मिलते हैं। चुनावों के दौरान इस गांवों के ग्रामीणों से समुचित पेयजल इंतजाम के दावे किए जाते हैं, लेकिन चुनाव खत्म होने के बाद इस गांव में जनप्रतिनिधि आना तक पसंद नहीं करते। 

छानकर पी रहे मटमैल पानी

ग्रामीणों ने अपनी प्यास बुझाने के लिए गांव से दो किलोमीटर दूर कुएं के आकार जैसी झिरी खोदी है। ग्रामीणों इस झिरी में से पानी निकालकर उसे छानकर पीने के लिए विवश हैं। मटमैला गंदा पानी पीने की वजह से गांव में बीमारी फैलने का भी अंदेशा बना रहता है।


घर में शौचालय, फिर बाहर जा रहे ग्रामीण

खास बात यह है कि स्वच्छ भारत-सुंदर भारत की कल्पना को साकार करने के लिए इस गांव में हर घर में शौचालय बने हैं, लेकिन पानी नहीं होने की वजह से यह ग्रामीण लौटा लेकर बाहर खुले में शौच जाने के लिए विवश हैं। ग्रामीणों का कहना है कि इस समस्या से जिम्मेदारों को कई बार अवगत कराया, लेकिन किसी का ध्यान नहीं है।

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