जिला शिक्षा अधिकारी स्वयं इस आदेश के दायरे में, हो सकती है पद से छुट्टी
सीहोर । सीहोर जिले के शिक्षा विभाग की अलग ही कहानी है और ये अपने अनर्गल निर्णयों के लिए जाना जाता है और कई बार इसके निर्णयों से जिले की बहुत फजीहत होती है, ताज़ा मामला भी कुछ ऐसा ही है जिसमें सीहोर के शिक्षा विभाग के कारनामे से जिले की किरकिरी पूरे प्रदेश में हो रही है । जानकारी के अनुसार स्कूल शिक्षा विभाग ने 21 अप्रैल को शिक्षा मंत्री की उपस्थिति में एक आदेश जारी किया था, जिसके अनुसार कार्यालयों या अन्य जगह अटैच सभी शिक्षकों को तत्काल उनके मूल पद पर जाकर ज्वाइनिंग देनी थी और पूरे प्रदेश में ये आदेश जारी किया गया था, साथ ही आदेश में स्कूल शिक्षा विभाग के संचालक का स्पष्ट आदेश था कि यदि किसी शिक्षक का अटैचमेंट समाप्त नहीं किया गया तो उसको वेतन नहीं मिलेगा और उसके विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई भी की जाएगी, आदेश का कारण यह था कि शिक्षकों के अटैचमेंट से शिक्षा की गुणवत्ता प्रभावित हो रही थी । जानकारी के अनुसार इस आदेश के बाद प्रदेश के सभी जिलों में शिक्षकों की प्रतिनियुक्ति समाप्त कर उनको मूल जगह भेज दिया गया लेकिन सीहोर जिले में जिला शिशा अधिकारी ने 15 मई को एक आदेश जारी कर कार्यालयीन कार्य प्रभावित होने का हवाला देकर सभी जनशिक्षकों, बीआरसी और बीएसी को यथावत रखने का आदेश जारी कर मंत्री के आदेश की अवहेलना कर अपने चहेतों को पुनः मलाईदार पदों पर बरकरार रखने की व्यवस्था कर ली जो कि पूरे प्रदेश में चर्चा का विषय बन गई है । यहां ध्यान देने योग्य बात यह है कि जिला शिक्षा अधिकारी स्वयं एक प्राचार्य हैं और शिक्षण कार्य को छोड़कर खुद बड़े पद का प्रभार लेकर जिला शिक्षा अधिकारी बनकर बैठे हुए हैं और अब एक प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा मंत्री के आदेश को चैलेंज करना उनकी ऊंची पहुंच और तानाशाह कार्यशैली को दर्शा रहा है । अब देखना दिलचस्प होगा कि इस मामले में सीहोर जिले में मंत्री के आदेश का पालन होता है या प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी का और इस आदेश के परिपालन में जिला शिशा अधिकारी को भी उनके मूल पद पर प्राचार्य के रूप में भेजा जाता है या वो यही जिला शिक्षा अधिकारी के रूप में कार्य करना जारी रखते हैं और अपनी तानाशाहीपूर्ण शैली और मनमाना रवैया जारी रखते हैं ।