शिव महापुराण

गुरु कभी भी अमंगल नहीं सोचता है, वह तो शिष्य के चरित्र का निर्माण करता है-पंडित चेतन उपाध्याय

सीहोर। निस्वार्थ भाव से दिया हुआ दान महादान है और इससे मनुष्य को परमपिता का अमूल्य वरदान प्राप्त होता है। योग्य गुरु से शिक्षा प्राप्त कर की गई साधना से साधक अपने लक्ष्य तक पहुंच पाने में स…

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