सीहोर। राजनीति है ऐसी बला, जो मौके पर चोका मार दें, वही सर्वश्रेष्ठ जनप्रतिनिधि है। जैसा कि बीते दिनों जिला मुख्यालय पर देखने को मिला। दरअसल, जिले में दो प्रमुख दल हैं जिनमें बीजेपी और कांग्रेस शामिल हैं। तीसरे दल के रूप में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) उभरने का प्रयास कर रही है। हालांकि जिले में उभरती हुई यह बसपा राजनीति के दांव-पेंच अच्छे से समझ गई है, जिसका उसने बीते दिनों उदाहरण भी प्रस्तुत कर दिया।
हुआ यूं कि बीते दिनों जिले के बुदनी विधानसभा क्षेत्र में एक घटना घटित हुई। समाज की राजनीति करने वाले जनप्रतिनिधि जिनमें (बीजेपी-कांग्रेस) दोनों के शामिल रहे ने तय किया पीडि़तों के साथ मामले में ज्ञापन सौंपा जाए। चर्चा उपरांत पीडि़त जिला मुख्यालय पर पहुंच ही रहे थे कि उससे पहले ही बहुजन समाज पार्टी के जनप्रतिनिधि सक्रिय हुए। ज्ञापन बनवाया गया और बसपा के झंडों के साथ ज्ञापन दिया गया। ज्ञापन सौंपने के दौरान समाज विशेष के बीजेपी और कांग्रेस के जनप्रतिनिधि भी मौजूद रहें। यह दोनों ही दलों के नेता कुछ समझ पाते इससे पहले ही बसपा ने बाजी मार दी और दोनों ही दलों के नेता हाथ मलते रह गए। दोनों ही दलों के नेता बाद में नाराज भी हुए कि यह मामला समाज का था, इसे राजनीतिक नहीं बनाया जाना था, लेकिन यह तो राजनीति है।