सीहोर। प्रदेश सहित जिले के लिए कांग्रेस में रायशुमारी खत्म हो गई है। रायशुमारी के दौरान कांग्रेस के करीब 40 नेताओं ने जिलाध्यक्ष बनने की इच्छा जताई है तो पर्यवेक्षकों द्वारा जिले में 8 स्थानों पर रायशुमारी की है। खास बात यह है कि इन 40 दावेदारों में कोई सक्रिय तो कोई निष्क्रिय तो कोई कानूनी दांवपेंच में उलझे जनप्रतिनिधि भी शामिल हैं। हालांकि कांग्रेस आलाकमान ही तय करेगा कि जिले का सरताज कौन होगा।
गौरतलब है कि सीहोर जिला अध्यक्ष पद के लिए नियुक्त पर्यवेक्षक डॉ. श्रीबेला प्रसाद पर्यवेक्षक के रूप में सीहोर आए थे। इस दौरान श्रीबेला प्रसाद ने जिले की चारों विधानसभा बुदनी, सीहोर, आष्टा और इछावर में करीब 8 स्थानों पर वन टू वन चर्चा कर रायशुमारी की। जिलाध्यक्ष पद के लिए करीब 40 नेताओं ने दावेदारी जताई। इस रायशुमारी में दावेदारी जताने वाले नेताओं के पार्टी से जुड़े पिछले हिसाब किताब को भी देखा जा रहा है। हालांकि जिले में बीते 3 दशकों से अपने बुरे दौरे से गुजर रही जिला कांग्रेस को इस रायशुमारी ने और अधिक मुसीबत में डाल दिया है। दरअसल, पहले से ही गुटबाजी से ग्रसित कांग्रेस में अध्यक्षीय चुनावी प्रक्रिया के चलते और अधिक नए गुट बन गए हैं।
तीन विधानसभाओं में कांग्रेस मजबूत....
गौरतलब है कि मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव के बाद जिले में कांग्रेस जिलाध्यक्ष पद में बदलाव किया गया था। डॉ. बलवीर तोमर के स्थान पर युवा नेता राजीव गुजराती को जिलाध्यक्ष पद की कमान सौंपी थी। राजीव को अध्यक्ष बने करीब साल भर हो गया है। साल भर के इस कार्यकाल में गुजराती के खाते में बुदनी उपचुनाव में कांग्रेस का अच्छा प्रदर्शन गया है। एक लाख से अधिक मतों से बुदनी हारने वाली कांग्रेस उपचुनाव में महज 13 हजार वोटों से हारी है। गुजराती पर किसी नेता विशेष का समर्थक होने का ठप्पा भी नहीं है साथ ही गुजराती के कार्यकाल में कांग्रेस खासी सक्रिय भी नजर आई और कांग्रेस सडक़ पर दिखी। प्रदेश कांग्रेस से मिले दिशा निर्देशों पर जिले में कांग्रेस अपनी दमदारी उपस्थिति दर्ज कराई। वाद विवाद भी सुनाई नहीं दिए। गुजराती के साल-सवा साल के कार्यकाल में कांग्रेस जिले की तीन विधानसभाओं में आज की तारीख में मजबूत स्थिति में नजर आ रही है। इधर अंदरखाने बताते हैं कि रायशुमारी के दौरान करीब 60 फीसदी लोगों ने राजीव को ही पहली पसंद बताया है। फिर यह तो आलाकमान ही तय करेगा कि राजीव ही अध्यक्ष रहेगा या किसी और को कांग्रेस की कमान मिलेगी।