सीहोर। जिले में शिक्षा जैसे गंभीर मामले पर भी भ्रष्टाचार की छाया पड़ गई है। एक ऐसा ही भ्रष्टाचार और जवाबदेही की गंभीर कमी का मामला उजागर हुआ है। बरखेड़ा हसन संकुल केंद्र की प्राथमिक शाला हीरापुर में एक शिक्षक ने न केवल नियमों का उल्लंघन किया, बल्कि बच्चों के मध्याह्न भोजन के अधिकार का भी हनन किया, जिससे एक समूह को लाखों का अनुचित लाभ पहुंचा।
जनपद पंचायत ने किरण स्व सहायता समूह को 23 जनवरी 2024 को खराब गुणवत्ता वाले भोजन के कारण हटा दिया था। इसके बावजूद प्राथमिक शाला हीरापुर के शिक्षक सईद खां ने इस आदेश को पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया। उन्होंने झूठी रिपोर्टें बनाकर फर्जी प्रतिवेदन सौंपकर समूह को लगातार काम पर बनाए रखा। चौंकाने वाली बात यह है कि यह सिलसिला 1 साल 6 महीने और 12 दिन तक चला, जिससे समूह को 1 लाख 7 हजार 256 रुपए से अधिक का सीधा वित्तीय लाभ मिला, जिसमें खाद्यान्न का हिसाब अलग है।
प्रभारी को धमकियां और जांच पर सवाल
जब प्रभारी ज्योति राजोरिया ने समूह को हटाने की कोशिश की तो उन्हें धमकियां मिलीं और उनके खिलाफ झूठी शिकायतें दर्ज कराई गईं। जांच समिति ने कलेक्टर को रिपोर्ट सौंपकर शिक्षक पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश की है और बीआरसीसी अशोक वर्मा ने दोषी तत्कालीन संस्था प्रभारी से रिकवरी के आदेश दिए हैं।
यह पूरा मामला
- जनपद पंचायत के बार-बार के आदेशों को शिक्षक सईद खां ने कैसे इतनी आसानी से नजरअंदाज किया।
- क्या विभागीय अधिकारियों को इतने लंबे समय तक इस अनियमितता की जानकारी नहीं थी या इसमें उनकी भी मिलीभगत थी।
- जब एक प्रभारी ईमानदारी से कार्रवाई करने की कोशिश करती है, तो उसे धमकियों का सामना क्यों करना पड़ता है।