विकास से वंचित एमपी के दूसरे सबसे सीनियर विधायक का इछावर

- सडक़ों पर बहता गंदा पानी, कुछ दिन पहले भी महिलाओं ने रोक दिया था काफिला

(इछावर से ओमप्रकाश मुकाती की रिपोर्ट)

मध्यप्रदेश में विधायक गोपाल भार्गव के बाद जिले की इछावर विधानसभा से विधायक व राजस्व मंत्री करण सिंह वर्मा प्रदेश के दूसरे सबसे सीनियर विधायक हैं। दरअसल, गोपाल भार्गव 9 बार के विधायक हैं, जबकि करण सिंह वर्मा 8 बार के विधायक हैं। बावजूद प्रदेश की रहली विधानसभा और जिले की इछावर विधानसभा में विकास के मामले में जमीन-आसमान का अंतर है। इछावर की जनता आज भी सडक़ जैसी मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रही है। बीते एक पखवाड़े पूर्व ही इछावर विधानसभा क्षेत्र में आक्रोशित महिलाओं ने राजस्व मंत्री करण सिंह वर्मा का काफिला रोक दिया था तो अब ग्राम कालापीपल पंचायत के ग्रामीण सडक़ पर पानी भरे होने से परेशान हैं। 

बता दें कालापीपल ग्राम पंचायत में प्रधानमंत्री ग्राम सडक़ योजना के तहत बनी सडक़ों की बदहाली ने विकराल रूप ले लिया है। निकासी के लिए नालियां न होने के कारण बारिश का गंदा पानी सडक़ों पर जमा हो रहा है, जिससे राहगीरों और स्कूली बच्चों को लगातार परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। इस समस्या के कारण कई लोग गिरकर घायल हो चुके हैं। ग्रामीणों ने इसकी शिकायत सीएम हेल्पलाइन पर भी दर्ज कराई है, लेकिन अभी तक कोई समाधान नहीं निकला है, जिससे लोगों में गहरा आक्रोश है। 

सबसे वरिष्ठ विधायकों में से एक, फिर भी पिछड़ापन!

विडंबना यह है कि इछावर विधानसभा का प्रतिनिधित्व करण सिंह वर्मा कर रहे हैं, जो मध्य प्रदेश में गोपाल भार्गव (9वीं बार के विधायक) के बाद दूसरे सबसे वरिष्ठ विधायक हैं और आठवीं बार इस सीट से चुने गए हैं। 1985 से भाजपा का गढ़ रही यह सीट, वर्मा जी के लगातार प्रतिनिधित्व के बावजूद मूलभूत सुविधाओं के मामले में जिले की अन्य विधानसभाओं से कहीं ज्यादा पिछड़ी हुई है। जनता का गुस्सा इस कदर बढ़ चुका है कि बीते दिनों खराब सडक़ों से परेशान महिलाओं ने राजस्व मंत्री करण सिंह वर्मा का काफिला तक रोक लिया था। बावजूद हालात जस के तस बने हैं। 

शिक्षा और रोजगार की बदहाली

इछावर में शिक्षा का स्तर भी चिंताजनक है। कॉलेज तो मौजूद है, लेकिन सीमित पाठ्यक्रम के कारण छात्रों को आगे की पढ़ाई के लिए भोपाल या सीहोर का रुख करना पड़ता है। रोजगार के अवसर भी नदारद हैं। गिनी-चुनी फैक्टरियां इछावर शहर से दूर सीहोर जिला मुख्यालय के करीब हैं, जिसके चलते स्थानीय युवाओं को रोजगार के लिए पलायन करना पड़ता है। 

1985 से भाजपा का गढ़

इछावर विधानसभा साल 1985 से भाजपा का गढ़ है। 1985 में पहली बार करण सिंह वर्मा इछावर से विधायक चुने गए थे, इसके बाद वे 1990, 1993, 1998, 2003 और 2008 में भी भाजपा की ओर से विधायक चुने गए थे। हालांकि उनकी जीत का यह क्रम साल 2013 में टूट गया था। 2013 में कांग्रेस के युवा नेता शैलेन्द्र पटेल इछावर से विधायक चुने गए, लेकिन 2018 में करण सिंह वर्मा ने कांग्रेस के शैलेन्द्र पटेल को हरा दिया था, इसके बाद 2023 में भी श्री वर्मा इछावर से विधायक चुने गए और वर्तमान में वह डॉ. मोहन यादव की सरकार में राजस्व मंत्री जैसा महत्वपूर्ण पद संभाल रहे हैं। 

8 कार्यकाल की 8 बड़ी सौगात भी नहीं...

मप्र के दूसरे सबसे सीनियर विधायक करण सिंह वर्मा इछावर विधानसभा से आठ बार से विधायक चुनते आ रहे हैं, बावजूद इछावर विधानसभा को वे 8 बड़ी सौगातें भी नहीं दे सके हैं। इछावर विधानसभा शिक्षा, रोजगार के मामले में काफी पिछड़ी हुई हैं। शिक्षा की बात करें इछावर में कॉलेज तो हैं, लेकिन पाठ्यक्रम सीमित हैं। बीए की पढ़ाई के बाद छात्र-छात्राओं को आगे की पढ़ाई के लिए भोपाल सीहोर का मुंह तांकना पड़ता है। रोजगार की बात करें तो इछावर विधानसभा में कहने को दो फैक्ट्रियां हैं, यह दोनों ही फैक्ट्रियां इछावर शहर से दूर सीहोर जिला मुख्यालय के नजदीक है। रोजगार के साधन नहीं होने की वजह से इछावर शहर के युवा अन्य शहरों की ओर पलायन करते हैं। 



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