45 दिनों तक वेंटिलेशन पर रहने के बा
द एक प्री-टर्म शिशु को सफलतापूर्वक एक्सट्यूबेट किया
भोपाल। एम्स भोपाल में चिकित्सा विज्ञान और मानवीय सेवा का एक प्रेरणादायक उदाहरण सामने आया है। 45 दिनों तक वेंटिलेशन पर रहने के बाद एक प्री-टर्म शिशु को सफलतापूर्वक एक्सट्यूबेट किया गया और अब वह स्वस्थ होकर घर लौट रहा है। 'एक्सट्यूबेशन' एक चिकित्सीय प्रक्रिया है, जिसमें श्वास नली में डाली गई ट्यूब को हटा दिया जाता है, जब रोगी स्वयं सांस लेने में सक्षम हो जाता है। इस उपलब्धि के पीछे शिशु की 75 वर्षीय दादी का अटूट विश्वास और समर्पण भी सराहनीय है। आर्थिक कठिनाइयों और व्यक्तिगत चुनौतियों के बावजूद, दादी ने कभी भी उम्मीद नहीं छोड़ी। अपनी स्वयं की स्वास्थ्य चिंताओं के बावजूद, उन्होंने अपने पोते की देखभाल के लिए हर संभव प्रयास किया। उनकी इस अटूट भावना और समर्पण को चिकित्सा दल के अथक प्रयासों का संबल मिला।
इस अवसर पर एम्स भोपाल के कार्यकारी निदेशक प्रो. (डॉ.) अजय सिंह ने कहा, "यह मामला चिकित्सा सेवा में समर्पण और परिवारिक प्रेम की अनूठी मिसाल है। एम्स भोपाल में हम हर मरीज को सर्वोत्तम स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। यह उपलब्धि हमारे डॉक्टरों, नर्सों और संपूर्ण चिकित्सा दल की कड़ी मेहनत का परिणाम है। इस कहानी से समाज में आशा और विश्वास का संदेश जाता है।" शिशु के उपचार में डॉ. चेतन खरे (सहायक प्रोफेसर, नियोनेटोलॉजी), नवजात गहन चिकित्सा इकाई (एनआईसीयू) के विशेषज्ञों, नर्सिंग स्टाफ और तीसरे वर्ष के पीजी छात्र ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।