पशुओं को बीमारियों से बचाने हुआ मंथन, देश भर के विशेषज्ञ चिकित्सक हुए शामिल


भोपाल। प्रदेश में पशुओं को बीमारियों से बचाने को लेकर मंगलवार और बुधवार को राजधानी भोपाल में सेमिनार आयोजित किया जा रहा है। इस सेमिनार में पशुओं को एंटीबायोटिक दावों के उपयोग को कम करने पर मंथन किया जाएगा। इस सेमिनार में देश भर के विशेषज्ञ डॉक्टर और एक्सपर्ट शामिल हुए। एक्सपर्ट के बीच एंटीबायोटिक दवा के उपयोग-दुरुपयोग समेत कई विषयों पर मंथन किया जा रहा है। पशु चिकित्सा में वैकल्पिक उपचार पर दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला 11 मार्च से शुरू हो गई। यह कार्यशाला पशुपालन एवं डेयरी विभाग और मध्यप्रदेश राज्य पशु चिकित्सा परिषद के संयुक्त तत्वावधान में हो रही है। कार्यशाला में बताया गया कि वर्तमान में एंटीबायोटिक दवाओं के अधिक प्रयोग से मनुष्यों और पशुओं में प्रतिरोधक क्षमता कम हो रही है। यह एक गंभीर वैश्विक समस्या बन गई है। इस समस्या के समाधान के लिए आयुर्वेद, होम्योपैथी, पारंपरिक चिकित्सा और यूनानी जैसी वैकल्पिक चिकित्सा पद्धतियों का प्रयोग महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इन पद्धतियों से कम खर्च में और बिना किसी दुष्प्रभाव के पशुओं का इलाज संभव है। कार्यशाला में राष्ट्रीय स्तर के विशेषज्ञ, प्रदेश के पशु चिकित्सकों को तकनीकी मार्गदर्शन दिया गया। इसमें करीब 110 प्रतिभागी मौजूद थे। कार्यशाला का एक प्रमुख उद्देश्य वैकल्पिक पशु चिकित्सा के लिए नीति निर्माण पर चर्चा करना भी है। कार्यक्रम में पशुपालन मंत्री लखन सिंह पटेल, दीनदयाल शोध संस्थान चित्रकूट के अभय महाजन, प्रमुख सचिव उमाकांत उमराव, वेटनरी काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष उमेश चंद्र शर्मा, पशुपालन विभाग के संचालक डॉ. पीएस पटेल भी मौजूद थे।

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