बेटियों के लिए प्रेरणा बनी सीहोर जिले की 12 वर्षीय बेटी कुमारी प्रीति
सीहोर। जब हौसलों में उड़ान हो और इरादे मजबूत हों, तो मंजिल तक पहुंचना सुनिश्चित हो जाता है। मध्यप्रदेश के सीहोर जिले के आष्टा विकासखंड के छोटे से गांव मुल्लानी की 12 वर्षीय बेटी कुमारी प्रीति परमार ने इस बात को साबित करके दिखाया है। कुमारी प्रीति परमार ने सिर्फ 12 वर्ष की इतनी कम उम्र में यूरोप की सबसे ऊँची चोटी एल्ब्रस (5,642 मीटर) को फतह कर न केवल अपने गाँव बल्कि अपने जिले, राज्य और देश का नाम पूरे विश्व में रोशन किया है। प्रीति का यह सफर सिर्फ एक पर्वतारोहण नहीं था, बल्कि यह एक साहस, आत्मविश्वास और नारी शक्ति की उड़ान थी। जिस उम्र में बच्चे स्कूल की पढ़ाई और खेलकूद में लगे होते हैं, उस उम्र में प्रीति ने बर्फ की ऊँचाइयों में अपने सपनों को आकार दिया और दुनिया को दिखा दिया कि बेटियाँ कुछ भी कर सकती हैं।
सीहोर जिले की बेटी कुमारी प्रीति परमार एल्ब्रस पर्वत पर चढ़ने वाली मध्य प्रदेश की सबसे कम उम्र की लड़की हैं। प्रीति ने 17 अगस्त 2024 की रात 1:00 बजे बेस कैंप से चढ़ाई शुरू की और 9 घंटे के भीतर शिखर तक पहुंच गईं और एल्ब्रस पर्वत की चोटी पर भारत देश का ध्वज लहराया। उन्होंने यह साहसिक कार्य बिना किसी सहायता के पूरा किया। प्रीति के साथ उनके भाई श्री चेतन परमार भी थे, जिन्होंने पहली ही कोशिश में इस पर्वत को फतह किया था।
प्रीति ने बताया कि उनकी योजना थी कि वे 15 अगस्त 2024 को पर्वत के शिखर पर पहुंचे, लेकिन अत्यधिक खराब मौसम के कारण उन्हें इसे स्थगित करना पड़ा। इसके बावजूद, प्रीति और चेतन ने अपने दृढ़ संकल्प और साहस के बल पर इस चुनौती को पूरा किया। प्रीति की इस उपलब्धि ने न केवल उनके परिवार बल्कि पूरे देश को गर्व से भर दिया है। इतनी कम उम्र में इतनी बड़ी चुनौती को स्वीकार कर उसे पूरा करना प्रीति के अदम्य साहस, धैर्य और मेहनत का परिणाम है।
एल्ब्रस पर्वत, जिसकी ऊंचाई 5,642 मीटर है, को फतह करना हर पर्वतारोही का सपना होता है। प्रीति ने इस चुनौती को स्वीकार कर इसे पूरा किया, जो उनकी असाधारण क्षमता और हिम्मत को दर्शाता है। प्रीति की इस सफलता से न सिर्फ उनकी उम्र के बच्चों को बल्कि सभी को प्रेरणा मिली है। प्रीति अब एक मिसाल बन गई हैं और उनकी यह यात्रा सभी के लिए प्रेरणादायक है।
यह कहानी सिर्फ प्रीति की नहीं, हर उस लड़की की कहानी है जो आगे बढ़ना चाहती है। प्रीति ने यह साबित कर दिया कि सशक्तिकरण का मतलब सिर्फ अधिकार नहीं, बल्कि अपने सपनों को सच कर दिखाने का साहस भी होता है। उनकी सफलता ने यह संदेश दिया है कि बेटियाँ केवल घर की ज़िम्मेदारी नहीं, बल्कि देश की शान भी बन सकती हैं। प्रीति आज की नहीं, आने वाले कल की प्रेरणा हैं—हर उस बच्ची के लिए जो ऊँचाइयों को छूना चाहती है।