सीहोर। शहर की राजनीति में पवित्र सलीला जीवनदायिनी सीवन नदी महत्वपूर्ण केन्द्र बिन्दू बनकर रह गई है। कांग्रेस हो, भाजपा हो या फिर निर्दलीय परिषद, सभी ने सीवन उद्धार के बड़े-बड़े दावे तो किए, लेकिन यह दावे जमीन पर नहीं उतर सके। वर्तमान नगर परिषद का रवैया भी सीवन के प्रति कुछ ऐसा नहीं नजर आ रहा है। लेट लतीफी के साथ सीवन नदी में गहरीकरण कार्य की शुरुआत हुई, लेकिन इसकी रफ्तार धीमी है, जबकि इस बार मानसून समय से पहले आ जाएगा। नागरिकों का कहना है कि गहरीकरण कार्य में सीवन उद्धार समिति और शहरवासियों का साथ मिलता तो काम तेजी से होता।
बता दें बारिश की शुरुआत 15 जून से होती है, 15 जून में अब 1 महीने का ही समय शेष बचा है, जबकि मौसम विभाग इस बार मानसून समय से पहले आने की बात कह रहा है। इधर प्रतिवर्षानुसार इस वर्ष भी गर्मी शुरू होते ही शहर में सीवन नदी के गहरीकरण व उद्धार की बातें चल पड़ी। सीवन के गहरीकरण व सौंदर्यीकरण के लिए समिति बनी, जिसे सीवन उद्धार समिति नाम दिया गया। समिति ने सीवन में काम प्रारंभ करने की दिनांक निर्धारित की, हालांकि इस दिनांक के आने से पहले नगर परिषद व प्रशासन ने जल गंगा संवर्धन अभियान के अंतर्गत इस काम को अपने हाथ में ले लिया।
प्रभारी मंत्री से कराया उद्घाटन
जल गंगा संविर्धन अभियान के अंतर्गत सीवन नदी गहरीकरण और सौंदर्यीकरण के लिए प्रभारी मंत्री श्रीमती कृष्णा गौर के हाथों उद्घाटन कराया गया। काम की शुरुआत हुई, जो थोड़े दिन चलने के बाद थम गई। काम रुकने को लेकर मीडिया में खबर प्रकाशित हुई और फिर से सीवन नदी में गहरीकरण कार्य की शुरुआत हो गई है। एक पोकलेन मशीन के जरिए सीवन में गहरीकरण का कार्य किया जा रहा है। इधर शहरवासियों का कहना है कि काम की रफ्तार बहुत धीमी है, ऐसे में बारिश पूर्व सीवन का गहरीकरण-सौंदर्यीकरण होना मुश्किल नजर आ रहा है।
जुडऩे लगा था शहर
सीवन उद्धार समिति के प्रयासों के बाद शहर भी सीवन नदी के गहरीकरण और सौंदर्यीकरण के लिए जुडऩे लगा था। समाजसेवियों द्वारा अपनी और से सहयोग राशि की घोषणा की जाने लगी थी, महज तीन समाजसेवी परिवार व समाज द्वारा इस कार्य के लिए 15 लाख रुपए की घोषणा की थी, धीरे-धीरे शहर का और भी साथ मिलता, लेकिन फिलहाल अब यह काम सरकारी स्तर पर चल रहा है, नतीजतन शहर ने भी इससे दूरी बना रखी है।