सीहोर। फसल बीमा योजना किसानों के लिए उम्मीद नहीं बल्कि आक्रोश का कारण बन रही है। कई किसानों को बीमा क्लेम उनकी प्रीमियम राशि से भी कम मिला। किसी को 100 रुपए तो किसी को 1100 रुपए तक ही भुगतान किया गया। किसान इसे सरासर धोखा बता रहे हैं।
नदी में उतरे किसान, हाथों में खराब फसल
सीहोर, भोपाल और शाजापुर जिले के टीलाखेड़ी, मुंगावली छोटी, लसूडिया खास और कोठरी गांव के किसान मंगलवार को जल सत्याग्रह में उतर गए। वे खराब सोयाबीन की फसल हाथों में लेकर नारे लगाते हुए नदी में खड़े रहे। किसानों का कहना है कि जब तक पूरा मुआवजा नहीं मिलेगा, आंदोलन जारी रहेगा।
पांच साल से लगातार तबाही
किसान समाजसेवी एम.एस. मेवाड़ा बताते हैं कि बीते पांच सालों से सोयाबीन और गेहूं की फसलें प्राकृतिक आपदा से लगातार बर्बाद हो रही हैं। कभी अतिवृष्टि, कभी सूखा और कभी ओलावृष्टि ने किसानों को कंगाल बना दिया, लेकिन अब तक प्रशासन ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया।
अनोखे विरोध और बढ़ती नाराजगी
किसानों ने बार-बार अनोखे आंदोलनों से अपनी पीड़ा जताई है। कहीं पेड़ों पर चढ़कर घंटी बजाई तो कहीं झुनझुना बजाया। अब महिलाओं ने रैली निकालकर विरोध दर्ज किया और किसानों ने नदियों में जल सत्याग्रह शुरू कर दिया। किसान चेतावनी दे रहे हैं कि यह आंदोलन गांव-गांव फैलाया जाएगा।
सरकार के दावे
प्रदेश सरकार लाखों किसानों को बीमा राशि दिए जाने का दावा कर रही है। लेकिन किसानों का सवाल है कि जब तीन हेक्टेयर फसल पर महज 500 रुपए मिलते हैं तो यह कैसा मुआवजा है? किसानों का साफ कहना है कि वे अब पीछे नहीं हटेंगे और उचित हक मिलने तक संघर्ष जारी रहेगा।