सीहोर। जाको राखे साइयां मार सके न कोई... ये कहावत एक फिर चरितार्थ हो गई, जब तीन माह पहले नर्मदा नदी के आंवलीघाट से स्नान के दौरान गायब हुआ युवक आंवलीघाट से ही सकुशल मिल गया। परिजन युवक को अपने बीच सकुशल पाकर बेहद खुश हैं। परिवार को विश्वास था कि मनोज लौटकर जरुर आएगा।
मालूम हो कि युवक मनोज सेन के लापता होने से उनकी पत्नी प्रेमलता, बेटे अरुण और कान्हा का रो रोकर बुरा हाल था, लेकिन उन्होंने कभी हिम्मत नहीं हारी और न ही उनका विश्वास टूटा। उन्हें इस बात का भरोसा था कि उनके पिता कभी न कभी जरूर आएंगे और उनका यह विश्वास 1 अप्रैल यानी मंगलवार को सच में बदल गया। रेहटी थाना प्रभारी राजेश कहारे ने बताया कि उन्हें मंगलवार को आंवलीघाट से अज्ञात नंबर से फोन आया कि आंवलीघाट से 3 महीने पहले जो युवक लापता हुआ था वो आश्रम में बैठा हुआ है। सूचना मिलते ही पुलिस आश्रम पहुंची और मनोज सेन को सकुशल थाने लेकर पहुंची। जब मनोज सेन से पूछताछ की गई तो वह ठीक से किसी भी सवाल का जवाब नहीं दे पा रहा था। बार-बार नर्मदे हर के जयकारे लगा रहा था। इसके बाद पुलिस ने परिजनों को सूचना दी और पहचान करने के बाद मनोज को उनके परिजनों को सौंप दिया गया। फिलहाल मनोज सीहोर जिले के अपने पैतृक गांव रोला में हैं।
यह है पूरा मामला
मनोज सेन अपनी पत्नी प्रेमलता के साथ 30 दिसम्बर 2024 को सुबह 5 बजे आंवलीघाट पर स्नान करने गए थे, जहां दोनों ने नदी में एक साथ डुबकी लगाई। डुबकी लगाने के बाद मनोज लापता हो गया। मनोज की पत्नी घाट पर बने चेंजरूम में कपड़े बदलने चली गई। कपड़े बदलने के बाद घाट पर मनोज को देखती रही लेकिन वो कहीं दिखाई नहीं दिए। इसके बाद प्रेमलता ने आश्रम में जाकर देखा तो वहां भी नहीं मिला। प्रेमलता को जब मनोज कहीं भी दिखाई नहीं दिया तो उन्होंने पुलिस को इसकी सूचना दी, तलाश शुरू की थी, लगातार अभियान चलाया, लेकिन मनोज सेन का कहीं कोई सुराख नहीं मिला।
कलेक्टर ने भी दिए थे निर्देश
सीहोर के तत्कालीन कलेक्टर प्रवीण सिंह ने भी मनोज को ढूंढने के निर्देश दिए थे, लेकिन मनोज का 92 दिन तक कहीं कोई सुराग नहीं लगा। इसके बाद पुलिस एवं परिजनों ने भी आस छोड़ दी थी, लेकिन अब मनोज के घर में खुशी का माहौल है। मनोज के बेटे अरुण सेन ने बताया कि मेरे पापा सकुशल घर आ गए हैंए लेकिन अभी उनकी दिमागी स्थिति ठीक नहीं है। पापाजी की वापसी से घर में खुशी का माहौल है।