सीहोर। हर साल की तरह इस साल भी अखिल भारतीय कायस्थ महासभा के तत्वाधान में भगवान चित्रगुप्त का प्रकटोत्सव आस्था और उत्साह के साथ मनाया गया। इस मौके पर शहर के शुगर फैक्ट्री स्थित मंदिर में हवन पूजन और अभिषेक का आयोजन किया गया था और उसके पश्चात भगवान श्री चित्रगुप्त की पूजा अर्चना की गई।इस संबंध में जानकारी देते हुए महासभा के जिलाध्यक्ष प्रदीप कुमार सक्सेना ने बताया कि भगवान चित्रगुप्त प्रकटोत्सव रविवार को शहर के शुगर फैक्ट्री स्थित मंदिर में मनाया गया था, इस दौरान यहां पर सुबह भगवान का विशेष अभिषेक किया गया, उसके पश्चात शाम को हवन-पूजन किया गया। इस मौके पर शैलेंद्र श्रीवास्तव, महेश श्रीवास्तव, योगेश सक्सेना एचडी सक्सेना आदि अनेक समाजजन उपस्थित थे।
उन्होंने बताया कि कायस्थ समाज के द्वारा प्रकटोत्सव पूरी आस्था के साथ मनाया जाता है। वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को गंगा सप्तमी मनाई जाती है। इसी दिन चित्रगुप्त प्रकटोत्सव पर्व भी मनाया जाता है। चित्रगुप्त जयंती का त्योहार कायस्थ वर्ग में अधिक प्रचलित है। क्योंकि चित्रगुप्त जी को वह अपना ईष्ट देवता मानते हैं। दरअसल भगवान चित्रगुप्त का जन्म ब्रह्मा के अंश से हुआ है। वह यमराज के सहयोगी हैं। जो जीव जगत में मौजूद सभी का लेखा-जोखा रखते हैं। चित्रगुप्त के जन्म की कथा काफी रोचक है। जब यमराज ने अपने सहयोगी की मांग की, तो ब्रह्मा ध्यान में चले गए। उनकी एक हजार वर्ष की तपस्या के बाद एक पुरुष उत्पन्न हुआ। इस पुरुष का जन्म ब्रह्मा जी की काया से हुआ था। इसलिए ये कायस्थ कहलाए और इनका नाम चित्रगुप्त पड़ा। भगवान चित्रगुप्त जी के हाथों में कर्म की किताब, कलम, दवात है। ये कुशल लेखक हैं और इनकी लेखनी से जीवों को उनके कर्मों के अनुसार न्याय मिलता है। कार्तिक शुक्ल द्वितीया तिथि को भगवान चित्रगुप्त की पूजा का विधान है। यमराज और चित्रगुप्त की पूजा एवं उनसे अपने बुरे कर्मों के लिए क्षमा मांगने से नरक का फल भोगना नहीं पड़ता है।