पितृपक्ष के पहले दिन लगेगा साल का आखिरी चंद्र ग्रहण

सीहोर। इस साल पितृपक्ष का आरंभ एक दुर्लभ संयोग के साथ हो रहा है। भाद्रपद महीने की पूर्णिमा तिथि यानी 7 सितंबर से पितृपक्ष की शुरुआत हो रही है और इसी दिन साल का अंतिम चंद्र ग्रहण भी लगेगा। यह खगोलीय घटना भारत में दिखाई देगी, इसलिए इसका सूतक काल भी मान्य होगा।

बालाजी ज्योतिष अनुसंधान एवं परामर्श केंद्र के ज्योतिषाचार्य पंडित सौरभ गणेश शर्मा ने बताया कि पितृपक्ष में पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध, पिंडदान और दान-दक्षिणा का विशेष महत्व होता है। यह 16 दिनों की अवधि है, जिसमें पितर पृथ्वी पर आकर अपने वंशजों पर कृपा बरसाते हैं।

चंद्र ग्रहण का समय और प्रभाव

पंडित शर्मा के अनुसार यह एक खग्रास चंद्र ग्रहण होगा जो भारत में दिखाई देगा। 7 सितंबर को दोपहर 12.50 बजे से सूतक शुरू होगा, जबकि रात 8.58 से ग्रहण प्रारंभ, रात 9.57 बजे ग्रहण स्पर्श, रात 2.25 बजे मोक्ष काल. पं. शर्मा ने बताया कि वैज्ञानिकों के अनुसार जब सूर्य और चंद्रमा के बीच पृथ्वी आ जाती है तो चंद्रमा तक सूर्य की रोशनी नहीं पहुंच पाती, जिससे धरती की छाया चंद्रमा पर पड़ती है। इसी खगोलीय घटना को चंद्र ग्रहण कहते हैं।

पंडित शर्मा ने बताया कि यह ग्रहण भारत में दिखाई देगा, इसलिए इसका धार्मिक और ज्योतिषीय प्रभाव भी पड़ेगा। इस दौरान पूजा-पाठ और अन्य शुभ कार्य वर्जित रहेंगे। पंडित शर्मा ने सलाह दी है कि इस अवधि में धार्मिक यात्रा और खरीदारी करने से बचना चाहिए। सूतक लगने पर भोजन नहीं करना चाहिए और ग्रहण के दौरान पूजा पाठ करते रहना चाहिए।

इन राशियों पर रहेगा प्रभाव

- यह ग्रहण कुंभ राशि और शतभिषा नक्षत्र में लगेगा।

मेष, वृषभ, कन्या और धनु राशि के जातकों के लिए यह ग्रहण शुभ रहेगा।

- मिथुन, सिंह, तुला और मकर राशि वालों पर इसका सामान्य प्रभाव पड़ेगा।

- कर्क, वृश्चिक, मीन और कुंभ राशि वालों के लिए यह ग्रहण अशुभ फलदायक हो सकता है।


ग्रहण में करें राशि अनुसार दान

- मेष: लाल वस्तुएं

- वृषभ और तुला: सफेद वस्तुएं

- कर्क: दूध, दही, चावल

- सिंह: गेहूं, मूंगफली, शहद

- कन्या: गन्ने का रस

- वृश्चिक: आलू, शकरकंद, गेहूं

- धनु और मीन: पीले फल और वस्त्र

- मकर और कुंभ: काले तिल और वस्त्र

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